सुदामा चरित कविता नरोत्तम दास जी द्वारा रचित है। यह कविता बहुत ही सुंदर और संवेदनशील है जो श्री कृष्ण और उनके बचपन के मित्र सुदामा की कथा को बताता है।
कथा में बताया गया है कि.......
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सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।
सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की मनोदशा अत्यंत करुणा और संवेदना से भर गई। उनका हृदय दया से परिपूर्ण हो उठा और वे भावुक हो उठे। श्रीकृष्ण ने सुदामा को देखते ही उनके गरीबी और कष्टों को महसूस किया और तुरंत उनके सहायता का निर्णय लिया। उनके आचरण में अपनत्व और मित्रता का भाव प्रमुख रूप से परिलक्षित होता है।
इस घटनाक्रम में जब सुदामा द्वारका पहुंचे, तो श्रीकृष्ण उनकी झुग्गी-झोपड़ी वाली अवस्था को देखकर निहाल हो गए। उन्होंने सुदामा को अपनी राजसी आसन पर बिठाया, उनके पैर धोए, और अपनी राजसी भोजन संग उनका सत्कार किया। श्रीकृष्ण के इस आचरण से स्पष्ट है कि वे सुदामा के बाहरी दरिद्रता को न देखकर, उनके साथ की गहरी मित्रता और उनके उत्तम चरित्र की सराहना करते हैं।
"पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।" पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
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Sign up now"चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।"
(क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?
(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
(ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?
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Sign up nowद्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए।
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Sign up nowअपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
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Sign up nowनिर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
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Sign up nowद्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।
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Sign up nowउच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता-भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।
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Sign up nowअनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बहुत वर्षों बाद मिलने आए तो आप को कैसा अनुभव होगा?
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Sign up nowकहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।। इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।
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Sign up now- "पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए" ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक
बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए।
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Sign up nowसीस पगा न झँगा तन में, प्रभु! जाने को आहि बसे केहि ग्रामा।
धोती फटी-सी लटी दुपटी, अरु पाँय उपानह को नहिं सामा।।
द्वार खड़ो द्विज दुर्बल एक, रह्यो चकिसों बसुधा अभिरामा।
पूछत दीनदयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा।।
सुदामा का धोती और दुपट्टा किस स्थिति में थे जब वह द्वारका पहुंचे?
सुदामा ने द्वारपाल से किन दो मुख्य बातों का उल्लेख किया जब वे द्वारका में श्रीकृष्ण के दरबार पहुँचे?
सुदामा के पहुंचने पर द्वारपाल ने श्रीकृष्ण को क्या सूचित किया और उन्होंने सुदामा का वर्णन कैसे किया?
कविता के अनुसार, सुदामा ने अपनी गरीबी और साधनों की कमी के बावजूद किस प्रकार अपनी यात्रा को सफल बनाया?
सुदामा के पहनावे और उनकी आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाने में कवि ने किन शब्दों का प्रयोग किया?
1. सुदामा की धोती फटी-सी थी और दुपट्टा लटी (गमछा) जो उनके आर्थिक अवस्था का प्रतीक है, जब वह द्वारका पहुंचे।
2. सुदामा ने द्वारपाल से दीनदयाल (श्रीकृष्ण) का निवास स्थान पूछा और उन्होंने अपना नाम सुदामा बताया, जो उनकी विनम्रता और साधारणता को दर्शाता है।
3. सुदामा के पहुंचने पर द्वारपाल ने श्रीकृष्ण को सूचित किया कि बाहर एक गरीब व्यक्ति खड़ा है जिसके सिर पर पगड़ी नहीं है और शरीर पर कपड़े आदि सामान्य नहीं हैं, जो सुदामा की दुर्बल और विनम्र अवस्था को प्रकट करता है।
4. सुदामा ने अपनी गरीबी और साधनों की कमी के बावजूद धर्म और भक्ति के पथ पर आगे बढ़कर, अपनी यात्रा को सफल बनाया, जो उनके अडिग विश्वास और कृष्ण में गहरी आस्था को दर्शाता है।
5. कवि ने सुदामा के पहनावे और उनकी आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाने में "धोती फटी-सी" और "पाँय उपानह को नहिं सामा" जैसे शब्दों का प्रयोग किया, जो उनकी गरीबी और अभाव को व्यक्त करते हैं।
ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग केंटक जाल लगी पुनि जोए।
हाय! महादुख पायो सखा, तुम आए इत्र न कितै दिन खोए।।
देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैन्न के जल सों पग धोए।।
1. "सुदामा चरित" कविता के लेखक कौन हैं, जिसमें भगवान कृष्ण और उनके बचपन के मित्र सुदामा के भावनात्मक पुनर्मिलन का सुंदर चित्रण किया गया है?
2. "सुदामा चरित" में जब भगवान कृष्ण सुदामा की दुर्दशा देखते हैं तो उनकी प्रतिक्रिया कैसी होती है?
3. "सुदामा चरित" में एक राजा की सामाजिक मानदंडों से परे जाकर कृष्ण ने सुदामा के लिए कौन सा महत्वपूर्ण कार्य किया जो अत्यंत विनम्रता और स्नेह को दर्शाता है?
4. कृष्ण और सुदामा के मिलन पर "सुदामा चरित" में कृष्ण की क्रियाओं के माध्यम से मित्रता की गहराई का चित्रण कैसे किया गया है?
5. "सुदामा चरित" में सुदामा की यात्रा और स्थिति के प्रति कृष्ण की प्रतिक्रिया उनके चरित्र और मूल्यों के बारे में क्या प्रकट करती है?
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Sign up nowनरोत्तम दास जी एक महान हिंदी कवि थे। वे अपनी सुंदर रचनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं, जिनमें उन्होंने भक्ति, दोस्ती और मानवता के विषयों को बड़ी खूबसूरती से उजागर ......
सुदामा चरित कविता नरोत्तम दास जी द्वारा रचित है। यह कविता बहुत ही सुंदर और संवेदनशील है जो श्री कृष्ण और उनके बचपन के मित्र सुदामा की कथा को बताता है।
कथा में बताया गया है कि.......
1. मित्रता की महत्ता
'सुदामा चरित' में मित्रता की महिमा और उसका महत्व सबसे ज्यादा है। ये दर्शाता है कि एक सच्चे मित्र का साथ कितना मजबूत होता है। कृष्ण और सुदामा बचपन के........
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Unlock now 🔓1. सुदामा की गरीबी - सुदामा की फटी धोती और खाली पाँव का वर्णन उनकी आर्थिक गरीबी का प्रतीक है। इसके माध्यम से कवि ने दिखाया है कि सच्ची मित्रता और प्रेम धन-संपदा से ऊपर है।
2. कृष्ण की उदारता - जब कृष्ण .........
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Unlock now 🔓1. उपमा (सिमिली): कविता में दो वस्तुओं, व्यक्तियों या भावनाओं के बीच समानता की रेखांकित करते हुए 'जैसे', 'के समान' आदि शब्दों का प्रयोग होता है। जैसे.....
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