कबीरदास जी, जिन्हें हम संत कबीर के नाम से भी जानते हैं, उन्होंने कई दोहे और कविताएँ लिखी हैं जो हमें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाते हैं। उनकी कविताएँ .....
कबीर की साखियाँ - Class 8 - Hindi
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Back Exercises - कबीर की साखियाँ | वसंत | Hindi | Class 8
बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती है। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो। ग्यान, जीभि, पाऊँ, तलि, आँखि, बरी।
जब उच्चारण में बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण परिवर्तन होता है, तो वर्तनी (वर्तनी) भी उसी के अनुसार बदल जाती है जैसे:
1. ग्यान (ज्ञान का बोलचाल का रूप) - ग्यान शब्द का मानक रूप "ज्ञान" है, लेकिन कई क्षेत्रों में इसे "ग्यान" के रूप में उच्चारित किया जाता है।
2. जीभि (जीभ) - जीभि शब्द का मानक रूप "जीभ" है। यहाँ 'ई' की ध्वनि और 'भि' का आकार लोक की बोली की विशेषता दर्शाता है।
3. पाऊँ (पांव) - पाऊँ शब्द का मानक रूप "पांव" है।
4. तलि (तल) - तलि शब्द को मानक हिन्दी में "तल" के रूप में लिखा जाता है। यहाँ 'इ' की ध्वनि अक्षर के अंत में आ जाती है।
5. आँखि (आँख) - आँखि शब्द का मानक रूप "आँख" है। 'इ' ध्वनि को शब्द के अंत में जोड़ा जाता है।
6. बरी (बड़ी) - हालांकि "बरी" शब्द का आपने जिक्र किया गया है, यह संभवतः "बड़ी" शब्द के समान उच्चारित किया जा सकता है। हालांकि, "बरी" को अलग अर्थ में भी प्रयोग किया जाता है जैसे 'मुक्त' या 'छोड़ दिया गया', लेकिन अगर बोली जाने वाली भाषा में "बड़ी" का उच्चारण "बरी" के रूप में हो, तो इसके लिए एक समीकरण ढूँढना कठिन है बिना ठोस सबूत के।
Back Questions - कबीर की साखियाँ | वसंत | Hindi | Class 8
'तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं'-उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
कबीरदास जी इस उदाहरण के माध्यम से व्यक्ति के आंतरिक गुणों पर ध्यान देने की बात कहना चाहते हैं। 'तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं' से उनका तात्पर्य है कि मनुष्य की जाति, धर्म या रंग नहीं, बल्कि उसकी योग्यता, ज्ञान और गुण ही वास्तविक मूल्य रखते हैं। यहाँ तलवार को मनुष्य के गुणों और ज्ञान के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है, जबकि म्यान उसके बाहरी आवरण जैसे जाति और समाजिक स्थिति को दर्शाता है। कबीरदास जी हमें सिखाते हैं कि व्यक्ति का मूल्यांकन उसकी आंतरिक विशेषताओं से करना चाहिए।
पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है 'मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?
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Sign up nowकबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
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Sign up nowमनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?
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Sign up now"या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।"
"ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।"
इन दोनों पंक्तियों में 'आपा' को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। 'आपा' किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या 'आपा' स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?
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Sign up nowआपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।
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Sign up nowसभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।
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Sign up nowकबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? ज्ञात कीजिए।
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Sign up nowExtra Questions - कबीर की साखियाँ | वसंत | Hindi | Class 8
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मेल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।
कबीर दास जी ज्ञान की महत्वपूर्णता को बताने के लिए किण्वित वस्तु की तुलना किससे करते हैं?
"जाति न पूछो साधु की" दोहे के माध्यम से क्या संदेश दिया जा रहा है?
कबीरदास जी ने "मेल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान" कहकर किस बात की ओर इशारा किया है?
साधु के बारे में जानकारी प्राप्त करने का सही तरीका क्या है, जैसा कि कबीरदास जी ने बताया?
"मेल करो तरवार का" वाक्यांश के माध्यम से कौन सी जीवन संबंधी विचारधारा प्रस्तुत की गई है?
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मेल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।
कबीर दास जी ज्ञान की महत्वपूर्णता को बताने के लिए किण्वित वस्तु की तुलना किससे करते हैं?
"जाति न पूछो साधु की" दोहे के माध्यम से क्या संदेश दिया जा रहा है?
कबीरदास जी ने "मेल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान" कहकर किस बात की ओर इशारा किया है?
साधु के बारे में जानकारी प्राप्त करने का सही तरीका क्या है, जैसा कि कबीरदास जी ने बताया?
"मेल करो तरवार का" वाक्यांश के माध्यम से कौन सी जीवन संबंधी विचारधारा प्रस्तुत की गई है?
कबीर दास जी ज्ञान की महत्वपूर्णता को बताने के लिए तरवार की तुलना करते हैं, यानी उसपर ध्यान देने की जरुरत है, न कि उसके म्यान पर।
"जाति न पूछो साधु की" दोहे के माध्यम से दिया गया संदेश है कि व्यक्ति की जाति की अपेक्षा उसके ज्ञान और उसके काम को महत्व दिया जाना चाहिए।
कबीरदास जी ने "मेल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान" कह कर इशारा किया है कि महत्वपूर्ण है तरवार की धार (गुणवत्ता) की, उसकी बाह्य आवरण (म्यान) की नहीं। गुणों की परख करना महत्वपूर्ण है, न कि बाह्य आवरण की।
साधु के बारे में जानकारी प्राप्त करने का सही तरीका है उसकी जाति न पूछकर उसके ज्ञान और कर्मों की परख करना, जैसा कि कबीरदास जी ने बताया है।
"मेल करो तरवार का" वाक्यांश के माध्यम से प्रस्तुत जीवन संबंधी विचारधारा है कि गुणों और आंतरिक गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए, न कि बाहरी आवरण या रूप पर।
आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।
कह कबीर नहिं उलटिए,वही एक की एक।
"आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक" - इस लाइन का अर्थ समझाइए।
उलटते समय गारी क्यों अनेक हो जाती है, कबीरदास जी ने अपनी इस साखी में क्या संदेश दिया है?
कबीरदास जी ने गारी के प्रतिउत्तर में उलटते समय किस प्रकार के व्यवहार की सलाह दी है?
"कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक" - इस पंक्ति का क्या तात्पर्य है?
इस साखी में "उलटत" और "अनेक" शब्दों का प्रयोग करके कवि क्या संदेश देना चाहता है?
कबीरदास जी ने "आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक" - इस साखी के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं और प्रतिक्रियाओं पर किस प्रकार प्रकाश डाला है?
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Sign up nowAbout the Poet - कबीर की साखियाँ | Class 8 वसंत | Hindi
संत कबीरदास जी को अक्सर 'कबीर' के नाम से जाना जाता है। वह 15वीं सदी के महान कवि और संत थे। कबीरदास जी का जन्म वाराणसी के निकट लहरतारा गाँव में हुआ था। उनके जन्म के समय को लेकर विभिन्न मत हैं, परंतु अधिकतर लोग उन्हें 15वीं सदी का मानते हैं। कबीरदास जी को उनकी सामाजिक और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ शिक्षाओं के लिए जाना जाता है।
कबीरदास जी ने अपनी विचारधाराओं को अपनी कविताओं, दोहों और साखियों के माध्यम से प्रकट किया। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे जातिवाद, पाखंड और आडंबर के खिलाफ आवाज उठाई। कबीरदास जी हिंदू और मुस्लिम धर्मों के मिलन का संदेश देने वाले संत थे। वह हमेशा ईश्वर के प्रति एक सीधे और सरल भाव की शिक्षा देते थे।
उनके दोहे और कविताएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं और उन्हें सही मार्ग पर ले जाती हैं। कबीरदास जी के दोहे बहुत सरल भाषा में लिखे गए हैं लेकिन उनके अंदर गहरे अर्थ छिपे हैं। वह मनुष्य को सत्य, अहिंसा, करुणा और प्रेम की शिक्षा देते हैं।
कबीरदास जी अपने जीवनकाल में कई रचनाओं के लेखक थे, जिनमें 'बीजक' सबसे महत्वपूर्ण है। उनका कहना था कि भगवान न तो मंदिर में है और न ही मस्जिद में, बल्कि हर जीवित प्राणी के दिल में है। कबीरदास जी ने अपने जीवन में सदैव समाज को एक बेहतर दिशा देने की कोशिश की और अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को प्रेरित किया। उन्हें आज भी उनकी सरलता, दयाभाव और सच्चाई के लिए याद किया जाता है।
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Unlock now 🔓Summary - कबीर की साखियाँ | Class 8 वसंत | Hindi
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Themes - कबीर की साखियाँ | Class 8 वसंत | Hindi
1. ज्ञान का महत्व
संत कबीरदास जी कहते हैं कि हमें व्यक्ति को उसके ज्ञान के आधार पर परखना चाहिए, न कि उसकी जाति या सामाजिक स्थिति के आधार पर। ज्ञान ही वास्तविक........
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1. तलवार और म्यान: कबीरदास जी ने तलवार और उसके म्यान का प्रयोग ज्ञान और बाहरी दिखावे के मध्य अंतर को दर्शाने के लिए किया है। जैसे तलवार की असली........
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Unlock now 🔓Poetic Devices - कबीर की साखियाँ | Class 8 वसंत | Hindi
1. उपमा (Simile):
कबीरदास जी अक्सर अपनी रचनाओं में दो विभिन्न चीजों की तुलना 'समान' या 'जैसे' शब्दों का प्रयोग करके करते हैं, जैसे, "मनुष्य के मन को चंचल हवा के........
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Unlock now 🔓Vocabulary - कबीर की साखियाँ | Class 8 वसंत | Hindi
1. साधु - संत या अच्छा इंसान।
वाक्य: वह सच्चे दिल से साधु है।
2. ज्ञान - जानकारी या विद्या।
वाक्य: वह हमेशा अधिक ज्ञान पाने की कोशिश करता है।
3. मेल - संगति या मिलन।
वाक्य: उन्होंने .........................
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