यह कहानी एक बहादुर बच्चे के अनुभव का वर्णन करती है जो अपने छोटे भाई के साथ मिलकर एक बड़ी समस्या का सामना करता है। यह घटना तब घटित होती है जब ....
समृति - Class 9 - Hindi
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Back Questions - समृति | Sanchayan | Hindi | Class 9
भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?
जब भाई ने लेखक को घर वापस बुलाया, तो लेखक के मन में यह डर था कि उसे बेर खाने के अपराध में पेशी के लिए बुलाया गया होगा। वह सहमा हुआ था और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसने कौन-सा कसूर किया है। इसलिए वह भाई साहब के मार के डर से घर की ओर चल पड़ा था।
मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?
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Sign up now'साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं'-यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?
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Sign up nowकिन कारणों से लेखक ने चिट्रियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?
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Sign up nowसाँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाईं?
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Sign up nowकुएँ में उतरकर चिट्टियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।
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Sign up nowइस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?
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Sign up now'मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं'-का आशय स्पष्ट कीजिए।
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Sign up now'फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है'-पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
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Sign up nowExtra Questions - समृति | Sanchayan | Hindi | Class 9
चिट्ठियाँ कुएँ में कैसे गिरी और लेखक ने कैसे प्रतिक्रिया दी?
चिट्ठियाँ लेखक की टोपी में रखी थीं और जब वह कुएँ के पास एक ढेला साँप पर फेंकने के लिए झुका, तो चिट्ठियाँ टोपी से निकलकर कुएँ में गिर गईं। इस घटना पर लेखक अत्यधिक दुखी और घबराया हुआ था, क्योंकि उसे डर था कि घर वालों से मार पड़ेगी। घर वालों को पता चलने और पिटाई के डर से, वह और उसका छोटा भाई रोने लगे और उन्होंने चिट्ठियों को वापस पाने का दृढ़ निश्चय किया।
लेखक के बड़े भाई ने उसे और उसके छोटे भाई को डाकखाने भेजने का आदेश क्यों दिया?
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Sign up nowMCQ Questions - समृति | Sanchayan | Hindi | Class 9
जाड़े के दिन थे ही, तिस पर हवा के प्रकोप से कँप-कँपी लग रही थी। हवा मज्जा तक ठिठुरा रही थी, इसलिए हमने कानों को धोती से बाँधा। माँ ने भुँजाने के लिए थोड़े चने एक धोती में बाँध दिए। हम दोनों भाई अपना-अपना डंडा लेकर घर से निकल पड़े। उस समय उस बबूल के डंडे से जितना मोह था, उतना इस उमर में रायफल से नहीं। मेरा डंडा अनेक साँपों के लिए नारायण-वाहन हो चुका था। मक्खनपुर के स्कूल और गाँव के बीच पड़ने वाले आम के पेड़ों से प्रतिवर्ष उससे आम झुरे जाते थे। इस कारण वह मूक डंडा सजीव-सा प्रतीत होता था। प्रसन्नवदन हम दोनों मक्खनपुर की ओर तेज़ी से बढ़ने लगे। चिट्ठियों को मैंने टोपी में रख लिया, क्योंकि कुर्ते में जेबें न थीं।
1. कहानी के अनुसार, मुख्य पात्र और उसका भाई कहाँ जा रहे थे?
(क) सिनेमा देखने
(ख) मक्खनपुर के स्कूल
(ग) मक्खनपुर डाकखाने
(घ) बाजार
2. सर्दी के मौसम में मुख्य पात्र और उसके भाई ने अपने कानों को किससे बाँधा था?
(क) स्वेटर से
(ख) शॉल से
(ग) धोती से
(घ) टोपी से
3. मुख्य पात्र की माँ ने उन्हें क्या खाने को दिया था?
(क) समोसे
(ख) चने
(ग) बिस्किट
(घ) पापड़
4. मुख्य पात्र के डंडे का उपयोग पहले क्या फल तोड़ने के लिए किया जाता था?
(क) सेब
(ख) नीम
(ग) आम
(घ) तरबूज
5. मुख्य पात्र और उसका छोटा भाई किस उद्देश्य से मक्खनपुर जा रहे थे?
(क) खेलने के लिए
(ख) चिट्ठियाँ डाकखाने में डालने के लिए
(ग) रिश्तेदारों से मिलने
(घ) पिकनिक मनाने के लिए
उत्तर 1 - (ग) मक्खनपुर डाकखाने
उत्तर 2 - (ग) धोती से
उत्तर 3 - (ख) चने
उत्तर 4 - (ग) आम
उत्तर 5 - (ख) चिट्ठियाँ डाकखाने में डालने के लिए
गाँव से मक्खनपुर जाते और मक्खनपुर से लौटते समय प्रायः प्रतिदिन ही कुएँ में ढेले डाले जाते थे। मैं तो आगे भागकर आ जाता था और टोपी को एक हाथ से पकड़कर दूसरे हाथ से ढेला फेंकता था। यह रोज़ाना की आदत-सी हो गई थी। साँप से फुसकार करवा लेना मैं उस समय बड़ा काम समझता था। इसलिए जैसे ही हम दोनों उस कुएँ की ओर से निकले, कुएँ में ढेला फेंककर फुसकार सुनने की प्रवृत्ति जाग्रत हो गई। मैं कुएँ की ओर बढ़ा। छोटा भाई मेरे पीछे ऐसे हो लिया जैसे बड़े मृगशावक के पीछे छोटा मृगशावक हो लेता है। कुएँ के किनारे से एक ढेला उठाया और उछलकर एक हाथ से टोपी उतारते हुए साँप पर ढेला गिरा दिया, पर मुझ पर तो बिजली-सी गिर पड़ी। साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं यह बात अब तक स्मरण नहीं। टोपी के हाथ में लेते ही तीनों चिट्रियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में गिर रही थीं। अकस्मात् जैसे घास चरते हुए हिरन की आत्मा गोली से हत होने पर निकल जाती है और वह तड़पता रह जाता है, उसी भाँति वे चिट्रियाँ क्या टोपी से निकल गईं, मेरी तो जान निकल गई। उनके गिरते ही मैंने उनको पकड़ने के लिए एक झपट्टा भी मारा; ठीक वैसे जैसे घायल शेर शिकारी को पेड़ पर चढ़ते देख उस पर हमला करता है। पर वे तो पहुँच से बाहर हो चुकी थीं। उनको पकड़ने की घबराहट में मैं स्वयं झटके के कारण कुएँ में गिर गया होता।
1. कहानी के अनुसार, ढेला फेंकने की आदत से लेखक किस प्रकार से प्रभावित था?
(क) वह इसे बचपन का खेल समझता था
(ख) उसे यह बड़ा कोई बड़ा काम नहीं लगता था
(ग) उसे यह आत्म-संतुष्टि प्रदान करता था
(घ) वह इसे बड़ा काम समझता था
2. लेखक ने टोपी से क्या छींकने का प्रयास किया जब वह कुएँ के किनारे था?
(क) ढेला
(ख) चिट्टियाँ
(ग) अपनी वस्तुएं
(घ) अपने कपड़े
3. लेखक ने चिट्टियों को पकड़ने की कोशिश क्यों की?
(क) उन्हें दोबारा उपयोग में लाना था
(ख) वह चिट्टियाँ बहुत महत्वपूर्ण थीं
(ग) वह चिट्टियाँ उसके दोस्त की थीं
(घ) वह चिट्टियाँ खो जाने के कारण मार खाने से डर रहे थे
4. लेखक ने कुएँ के किनारे से किस चीज़ को उठाया था जिसे वह साँप पर फेंकना चाहता था?
(क) एक पत्थर
(ख) एक ढेला
(ग) एक स्टिक
(घ) एक फल
5. जब लेखक ने चिट्टियाँ गिरने के दौरान एक झपट्टा मारा, तो वह किस कारण से खुद कुएँ में गिर गया होता अगर नहीं बचा होता?
(क) वह संतुलन खो बैठा था
(ख) वह चिट्टियों को बचाने के प्रयास में था
(ग) वह बहुत अधिक भावुक हो गया था
(घ) उसने अपने भाई को बचाने की कोशिश की थी
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Sign up nowReference to the Context - समृति | Sanchayan | Hindi | Class 9
सन् 1908 ई. की बात है। दिसंबर का आखीर या जनवरी का प्रारंभ होगा। चिल्ला जाड़ा पड़ रहा था। दो-चार दिन पूर्व कुछ बूँदा-बाँदी हो गई थी, इसलिए शीत की भयंकरता और भी बढ़ गई थी। सायंकाल के साढ़े तीन या चार बजे होंगे। कई साथियों के साथ मैं झरबेरी के बेर तोड़-तोड़कर खा रहा था कि गाँव के पास से एक आदमी ने ज़ोर से पुकारा कि तुम्हारे भाई बुला रहे हैं, शीघ्र ही घर लौट जाओ। मैं घर को चलने लगा। साथ में छोटा भाई भी था। भाई साहब की मार का डर था इसलिए सहमा हुआ चला जाता था। समझ में नहीं आता था कि कौन-सा कसूर बन पड़ा। डरते-डरते घर में घुसा। आशंका थी कि बेर खाने के अपराध में ही तो पेशी न हो। पर आँगन में भाई साहब को पत्र लिखते पाया। अब पिटने का भय दूर हुआ। हमें देखकर भाई साहब ने कहा-“इन पत्रों को ले जाकर मक्खनपुर डाकखाने में डाल आओ। तेज़ी से जाना, जिससे शाम की डाक में चिट्टियाँ निकल जाएँ। ये बड़ी ज़रूरी हैं।"
(क) बेर खाने की स्थिति में लेखक क्यों सहमा हुआ था और उसे किस प्रकार की आशंकाएं थीं?
(ख) लेखक और उसके भाई के बीच संबंध उस समय के सामाजिक ढाँचे के किस पहलू को दर्शाते हैं?
(ग) लेखक की मनःस्थिति का वर्णन किस प्रकार उसके चरित्र के विकास और अनुभवों को प्रभावित करता है?
उत्तर (क): लेखक सहमा हुआ था क्योंकि उसे डर था कि बेर खाने के कारण उसके बड़े भाई द्वारा सजा दी जाएगी। वह आशंकित था कि बेर खाने के अपराध में ही उसे घर बुलाया गया है।
उत्तर (ख): लेखक और उसके बड़े भाई के बीच संबंध समय के पारंपरिक और अनुशासनात्मक परिवारिक ढाँचे को दर्शाते हैं, जहाँ बड़े भाई या मुखिया का सम्मान और आज्ञा का पालन अनिवार्य था।
उत्तर (ग): लेखक की मनःस्थिति, जो कि डर और आशंका से भरी हुई थी, उसके चरित्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह उसे सतर्क और जिम्मेदारी की भावना समझने में मदद करता है।
साँप से फुसकार करवा लेना मैं उस समय बड़ा काम समझता था। इसलिए जैसे ही हम दोनों उस कुएँ की ओर से निकले, कुएँ में ढेला फेंककर फुसकार सुनने की प्रवृत्ति जाग्रत हो गई। मैं कुएँ की ओर बढ़ा। छोटा भाई मेरे पीछे ऐसे हो लिया जैसे बड़े मृगशावक के पीछे छोटा मृगशावक हो लेता है। कुएँ के किनारे से एक ढेला उठाया और उछलकर एक हाथ से टोपी उतारते हुए साँप पर ढेला गिरा दिया, पर मुझ पर तो बिजली-सी गिर पड़ी। साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं यह बात अब तक स्मरण नहीं। टोपी के हाथ में लेते ही तीनों चिट्ठियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में गिर रही थीं। अकस्मात् जैसे घास चरते हुए हिरन की आत्मा गोली से हत होने पर निकल जाती है और वह तड़पता रह जाता है, उसी भाँति वे चिट्ठियाँ क्या टोपी से निकल गईं, मेरी तो जान निकल गई। उनके गिरते ही मैंने उनको पकड़ने के लिए एक झपट्टा भी मारा; ठीक वैसे जैसे घायल शेर शिकारी को पेड़ पर चढ़ते देख उस पर हमला करता है। पर वे तो पहुँच से बाहर हो चुकी थीं। उनको पकड़ने की घबराहट में मैं स्वयं झटके के कारण कुएँ में गिर गया होता।
(क) लेखक ने किस प्रकार से सांप पर ढेला फेंका, और उसकी प्रतिक्रिया क्या थी?
(ख) कुएँ में गिरते हुए चिट्ठियों की घटना से लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
(ग) लेखक ने घायल शेर और शिकारी का दृष्टांत क्यों दिया, और यह उसकी स्थिति से कैसे सम्बंधित है?
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Sign up nowAbout the Poet - समृति | Class 9 Sanchayan | Hindi
श्रीराम शर्मा एक प्रसिद्ध भारतीय लेखक थे, जिन्होंने कई सारे उपन्यास, कहानियां और निबंध लिखे हैं। उनकी लेखनी में बहुत ही सरल और सुगम हिंदी भाषा का प्रयोग होता था, जिसे पढ़कर बच्चे और बड़े दोनों ही आसानी से समझ सकते हैं। उनकी कहानियां अक्सर ग्रामीण जीवन और भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं।
श्रीराम शर्मा की रचनाएँ न केवल मनोरंजक होती हैं, बल्कि उनमें गहरे नैतिक संदेश भी छिपे होते हैं, जो पाठकों, खासकर बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का काम करते हैं। उनकी लेखनी में उनका मानवीय दृष्टिकोण और सामाजिक जागरूकता स्पष्ट रूप से झलकती है, जिससे पाठकों को अपने जीवन और समाज के प्रति एक नई सोच विकसित करने में मदद मिलती है।
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Unlock now 🔓Summary - समृति | Class 9 Sanchayan | Hindi
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Themes - समृति | Class 9 Sanchayan | Hindi
1. साहस और निर्भीकता
कहानी में साहस और निर्भीकता की थीम मुख्य रूप से उजागर होती है। जब बच्चा खुद को और अपने भाई को उस खतरे से बचाने के लिए साँप का सामना करता है, तो ....
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Unlock now 🔓Plot - समृति | Class 9 Sanchayan | Hindi
1. प्रारंभिक सेटिंग और परिचय
कहानी की शुरुआत एक ठंडे दिन में होती है, जब मुख्य पात्र और उसका छोटा भाई अपने गांव के पास बेर खा रहे होते हैं। उन्हें घर से बुलावा आता है कि वे जल्दी ....
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Unlock now 🔓Important Lines - समृति | Class 9 Sanchayan | Hindi
1. "तुम्हारे भाई बुला रहे हैं, शीघ्र ही घर लौट जाओ।"
- यह पंक्ति कहानी की शुरुआत........
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