गिल्लू नामक यह कहानी महादेवी वर्मा द्वारा लिखी गई है, और यह एक छोटी गिलहरी के बारे में है जिसे लेखिका ने गिल्लू के नाम से पुकारा। एक दिन, लेखिका ने देखा कि दो कौवे एक छोटी गिलहरी के बच्चे को परेशान कर रहे थे जो गिरकर घायल हो गया था। उसके मुंह और शरीर पर घाव थे। सभी......
गिल्लू - Class 9 - Hindi
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Back Questions - गिल्लू | Sanchayan | Hindi | Class 9
सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?
सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में उस छोटे जीव की याद ताजा हो गई जो पहले इसी लता में रहता था और उसे अक्सर चौंका देता था। उसने सोचा कि शायद उस छोटे जीव की आत्मा इस कली के माध्यम से उसे फिर से चौंका रही हो। इस विचार ने लेखिका को भावुक कर दिया और पुराने दिनों की यादें जीवंत हो उठीं।
पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?
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Sign up nowगिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
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Sign up nowलेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
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Sign up nowगिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
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Sign up nowगिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
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Sign up nowगिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है?
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Sign up now'प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया '-का आशय स्पष्ट कीजिए।
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Sign up nowसोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?
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Sign up nowExtra Questions - गिल्लू | Sanchayan | Hindi | Class 9
गिल्लू के उपनामकरण की प्रक्रिया कैसे संपन्न हुई?
गिल्लू के उपनामकरण की प्रक्रिया इस प्रकार संपन्न हुई कि जब वह गिलहरी का बच्चा पूरी तरह स्वस्थ और चंचल हो गया, तब उसके स्निग्ध रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चमकीली आँखें सबको विस्मित करने लगीं। उसी दौरान, उसकी जातिवाचक संज्ञा ('गिलहरी') को व्यक्तिवाचक के रूप में बदलकर उसे 'गिल्लू' कहकर पुकारा जाने लगा।
गिल्लू के बचपन और बड़े होने के क्रम में कौन-कौन से परिवर्तन देखने को मिले?
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Sign up nowलेखिका ने गिल्लू के जीवन के अंतिम क्षणों का वर्णन कैसे किया?
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Sign up nowMCQ - गिल्लू | Sanchayan | Hindi | Class 9
जब मैं लिखने बैठती तब अपनी ओर मेरा ध्यान आकर्षित करने की उसे इतनी तीव्र इच्छा होती थी कि उसने एक अच्छा उपाय खोज निकाला। वह मेरे पैर तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेज़ी से उतरता। उसका यह दौड़ने का क्रम तब तक चलता जब तक मैं उसे पकड़ने के लिए न उठती।
प्रश्न 1 - लेखिका जब लिखने बैठती थीं, तो गिल्लू क्या करता था?
(क) उसे देखता रहता
(ख) शांत बैठा रहता
(ग) परदे पर चढ़ता और उतरता
(घ) सोता रहता
प्रश्न 2 - गिल्लू क्यों परदे पर चढ़ता-उतरता था?
(क) खेलने के लिए
(ख) लेखिका का ध्यान खींचने के लिए
(ग) थक जाने के बाद
(घ) भूख लगने पर
प्रश्न 3 - गिल्लू का दौड़ने का क्रम कब तक चलता था?
(क) जब तक वह थक नहीं जाता
(ख) जब तक लेखिका उसे नहीं पकड़ती
(ग) सदैव
(घ) जब तक उसे खाना नहीं मिल जाता
प्रश्न 4 - गिल्लू की इस गतिविधि का आशय क्या था?
(क) मनोरंजन
(ख) अशांति
(ग) संवाद
(घ) ध्यान आकर्षण
प्रश्न 5 - गिल्लू किसे पकड़ने के लिए चढ़ता और उतरता था?
(क) चूहे
(ख) लेखिका
(ग) किसी अन्य जानवर को
(घ) कोई नहीं, यह केवल खेल था
उत्तर 1 - (ग) परदे पर चढ़ता और उतरता
उत्तर 2 - (ख) लेखिका का ध्यान खींचने के लिए
उत्तर 3 - (ख) जब तक लेखिका उसे नहीं पकड़ती
उत्तर 4 - (घ) ध्यान आकर्षण
उत्तर 5 - (ख) लेखिका
मेरे काकपुराण के विवेचन में अचानक बाधा आ पड़ी, क्योंकि गमले और दीवार की संधि में छिपे एक छोटे-से जीव पर मेरी दृष्टि रुक गई। निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा-सा बच्चा है जो संभवतः छोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं।
प्रश्न 1 – लेखिका का काकपुराण का विवेचन किस कारण से बाधित हुआ?
(क) जीव की उपस्थिति के कारण
(ख) कौवों की गतिविधियों के कारण
(ग) गमले और दीवार की संधि में छिपे हुए जीव को देखकर
(घ) बाहरी शोर के कारण
प्रश्न 2 – गिलहरी का बच्चा कहाँ पाया गया था?
(क) गमले में
(ख) दीवार की संधि में
(ग) छोंसले में
(घ) गमले और दीवार की संधि में
प्रश्न 3 – गिलहरी के बच्चे को किस प्राणी से खतरा था?
(क) बिल्ली से
(ख) कुत्ते से
(ग) कौवे से
(घ) चिड़िया से
प्रश्न 4 – कौवे गिलहरी के बच्चे में क्या खोज रहे थे?
(क) खिलौना
(ख) आहार
(ग) संगी
(घ) शरण
प्रश्न 5 – गिलहरी के बच्चे की स्थिति कैसी थी?
(क) आनंदित
(ख) खेलती हुई
(ग) संभवतः छोंसले से गिर पड़ी
(घ) नाचती हुई
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Sign up nowReference to the Context - गिल्लू | Sanchayan | Hindi | Class 9
मेरे काकपुराण के विवेचन में अचानक बाधा आ पड़ी, क्योंकि गमले और दीवार की संधि में छिपे एक छोटे–से जीव पर मेरी दृष्टि रुक गई। निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा–सा बच्चा है जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं। काकद्वय की चोंचों के दो घाव उस लघुप्राण के लिए बहुत थे, अतः वह निश्चेष्ट–सा गमले से चिपटा पड़ा था। सबने कहा, कौवे की चोंच का घाव लगने के बाद यह बच नहीं सकता, अतः इसे ऐसे ही रहने दिया जाए। परंतु मन नहीं माना–उसे हौले से उठाकर अपने कमरे में लाई, फिर रुई से रक्त पोंछकर घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। रुई की पतली बत्ती दूध से भिगोकर जैसे–जैसे उसके नन्हे से मुँह में लगाई पर मुँह खुल न सका और दूध् की बूँदें दोनों ओर ढुलक गईं। कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो गया कि मेरी उँगली अपने दो नन्हे पंजों से पकड़कर, नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर–उधर देखने लगा। तीन–चार मास में उसके स्निग्ध् रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखें सबको विस्मित करने लगीं। हमने उसकी जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक का रूप दे दिया और इस प्रकार हम उसे गिल्लू कहकर बुलाने लगे। मैंने फूल रखने की एक हलकी डलिया में रुई बिछाकर उसे तार से खिड़की पर लटका दिया।
लेखिका के काकपुराण के विवेचन में अचानक बाधा क्यों आ पड़ी?
सभी ने लेखिका से छोटे जीव के बारे में क्या कहा?
गिलहरी के बच्चे के घावों पर लेखिका ने क्या दवा लगाई?
तीन–चार मास में गिलहरी के बच्चे में क्या परिवर्तन आ गया था?
लेखिका ने गिलहरी के बच्चे का क्या नाम रखा था?
मेरे काकपुराण के विवेचन में अचानक बाधा आ पड़ी, क्योंकि गमले और दीवार की संधि में छिपे एक छोटे–से जीव पर मेरी दृष्टि रुक गई। निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा–सा बच्चा है जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं। काकद्वय की चोंचों के दो घाव उस लघुप्राण के लिए बहुत थे, अतः वह निश्चेष्ट–सा गमले से चिपटा पड़ा था। सबने कहा, कौवे की चोंच का घाव लगने के बाद यह बच नहीं सकता, अतः इसे ऐसे ही रहने दिया जाए। परंतु मन नहीं माना–उसे हौले से उठाकर अपने कमरे में लाई, फिर रुई से रक्त पोंछकर घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। रुई की पतली बत्ती दूध से भिगोकर जैसे–जैसे उसके नन्हे से मुँह में लगाई पर मुँह खुल न सका और दूध् की बूँदें दोनों ओर ढुलक गईं। कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो गया कि मेरी उँगली अपने दो नन्हे पंजों से पकड़कर, नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर–उधर देखने लगा। तीन–चार मास में उसके स्निग्ध् रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखें सबको विस्मित करने लगीं। हमने उसकी जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक का रूप दे दिया और इस प्रकार हम उसे गिल्लू कहकर बुलाने लगे। मैंने फूल रखने की एक हलकी डलिया में रुई बिछाकर उसे तार से खिड़की पर लटका दिया।
लेखिका के काकपुराण के विवेचन में अचानक बाधा क्यों आ पड़ी?
सभी ने लेखिका से छोटे जीव के बारे में क्या कहा?
गिलहरी के बच्चे के घावों पर लेखिका ने क्या दवा लगाई?
तीन–चार मास में गिलहरी के बच्चे में क्या परिवर्तन आ गया था?
लेखिका ने गिलहरी के बच्चे का क्या नाम रखा था?
लेखिका के काकपुराण के विवेचन में अचानक बाधा इसलिए आ पड़ी क्योंकि उनकी दृष्टि गमले और दीवार की संधि में छिपे एक घायल गिलहरी के बच्चे पर ठहर गई थी।
सभी लोगों ने लेखिका से कहा कि कौवे की चोंच का घाव लगने के बाद गिलहरी का बच्चा बच नहीं सकता है, इसलिए उसे वैसे ही रहने दिया जाए।
गिलहरी के बच्चे के घावों पर लेखिका ने पेंसिलिन का मरहम लगाया था।
तीन-चार मास में गिलहरी के बच्चे के स्निग्ध रोएँ और झब्बेदार पूंछ उग आई और चंचल चमकीली आँखें सबको विस्मित करने लगीं।
लेखिका ने गिलहरी के बच्चे का नाम 'गिल्लू' रखा था।
सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है। इसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुँचते ही कंधे पर कूदकर मुझे चैंका देता था। तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राण की खोज है।
परंतु वह तो अब तक इस सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा। कौन जाने स्वर्णिम कली के बहाने वही मुझे चैंकाने ऊपर आ गया हो!
अचानक एक दिन सवेरे कमरे से बरामदे में आकर मैंने देखा, दो कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से छूआ–छुऔवल जैसा खेल खेल रहे हैं। यह काकभुशुंडि भी विचित्र पक्षी है–एक साथ समादरित अनादरित, अति सम्मानित अति अवमानित।
हमारे बेचारे पुरखे न गरुड़ के रूप में आ सकते हैं, न मयूर के, न हंस के। उन्हें पितरपक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए काक बनकर ही अवतीर्ण होना पड़ता है। इतना ही नहीं हमारे दूरस्थ प्रियजनों को भी अपने आने का मधु संदेश इनके कर्कश स्वर में ही देना पड़ता है। दूसरी ओर हम कौवा और काँव–काँव करने को अवमानना के अर्थ में ही प्रयुक्त करते हैं।
किसे देखकर लेखिका को अनायास ही छोटे जीव का स्मरण हो आया?
आज लेखिका को किसकी खोज है?
‘परंतु वह तो अब तक इस सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा‘ से लेखिका का क्या आशय है?
काकभुशुंडि को विचित्र पक्षी क्यों कहा गया है?
हमारे बेचारे पुरखे को पितरपक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए कैसे अवतीर्ण होना पड़ता है?
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Sign up nowAbout the Author - गिल्लू | Class 9 Sanchayan | Hindi
महादेवी वर्मा भारतीय साहित्य में एक प्रमुख नाम हैं। वह हिंदी कविता की एक महान कवयित्री थीं और छायावाद युग की प्रमुख स्तंभों में से एक थीं। छायावाद युग वह समय था जब कविता में भावनाओं और कल्पना को बहुत महत्व दिया जाता था। महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को हुआ था और वे भारतीय साहित्य में 'मॉडर्न मीरा' के नाम से भी जानी जाती हैं।
उन्होंने न केवल कविताएं लिखीं बल्कि कई निबंध और कहानियाँ भी लिखीं, जो बच्चों और बड़ों दोनों के लिए प्रेरणादायक हैं। महादेवी वर्मा अपने समय की उन चुनिंदा महिलाओं में से थीं जिन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा और उसे अपने जीवन में उतारा।
वे जीवन की सूक्ष्म और जटिल भावनाओं को अपनी कविताओं में पिरोने में माहिर थीं। उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियां हैं 'दीपशिखा', 'नीहार', 'रश्मि' और 'नीरजा'। उनकी कृतियां मन की गहराइयों को छूती हैं और प्रकृति के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती हैं।
महादेवी वर्मा को उनके योगदान के लिए भारतीय साहित्य में ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित कई सम्मान मिले। उनका निधन 11 सितंबर 1987 को हुआ, पर उनकी कविताएँ और लेखन आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। उनकी कहानियों और कविताओं में विशेषकर बच्चों के लिए बहुत सी सीख और मौज-मस्ती छिपी होती है।
Summary - गिल्लू | Class 9 Sanchayan | Hindi
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Themes - गिल्लू | Class 9 Sanchayan | Hindi
1. प्रकृति और पशु प्रेम
महादेवी वर्मा ने "गिल्लू" में दिखाया है कि कैसे मनुष्य और प्रकृति के बीच एक खास बंधन हो सकता है। गिल्लू, एक छोटी गिलहरी, के प्रति लेखिका का प्रेम और देखभाल.....
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Unlock now 🔓Plot - गिल्लू | Class 9 Sanchayan | Hindi
कहानी की शुरुआत:
कहानी की शुरुआत में, लेखिका महादेवी वर्मा अपने बगीचे में एक सोनजुही की लता पर एक पीली कली को देखती हैं। इसी दौरान उन्हें एक छोटी और चंचल गिलहरी की.....
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Unlock now 🔓Important Lines - गिल्लू | Class 9 Sanchayan | Hindi
1. "सोनजुहीं में आज एक पीली कली लगी है।" - यह पंक्ति कहानी की शुरुआत में आती है और यह प्रकृति के सौंदर्य की ओर इशारा करती है।
2. "इसे देखकर अनायास ही....
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