"कोल्हू का बैल" एक रोचक और सिखाने वाली कविता है, जिसमें एक पढ़ने वाले व्यक्ति की कहानी बताई गई है। 🧐 इस व्यक्ति को पढ़क्कू कहा गया है क्योंकि....
पढ़क्कू की सूझ - Class 4 - Hindi
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Back Exercises - पढ़क्कू की सूझ | रिमझिम | Hindi | Class 4
हाँ जब बजती नहीं, दौड़कर तनिक पूँछ धरता हूँ
पूँछ धरता हूँ का मतलब है पूँछ पकड़ लेता हूँ। नीचे लिखे वाक्यों को अपने शब्दों में लिखो।
(क) मगर बूँद भर तेल साँझ तक भी क्या तुम पाओगे?
(ख) बैल हमारा नहीं अभी तक मंतिख पढ़ पाया है।
(ग) सिखा बैल को रखा इसने निश्चय कोई ढब है।
(घ) जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नई बात गढ़ते थे।
(क) लेकिन सांझ तक भी क्या तुम्हें थोड़ा सा भी तेल मिल पाएगा?
(ख) हमारा बैल अब तक तर्कशास्त्र नहीं सीख सका है।
(ग) इस आदमी ने बैल को अच्छी तरह से सिखाया है, निश्चय कुछ तरीका होगा।
(घ) जहाँ कोई बात नहीं होती, वहां भी वे नई बात निकाल लेते थे।
पढ़क्कू नई-नई बातें गढ़ते थे।
बताओ, ये लोग क्या गढ़ते हैं?
सुनार
लुहार
ठठेरा
कवि
कुम्हार
लेखक
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Sign up nowनीचे दिए गए शब्दों के अर्थ अक्षरजाल में खोजो-
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Sign up nowBack Questions - पढ़क्कू की सूझ | रिमझिम | Hindi | Class 4
'पढ़क्कू की सूझ' कविता में एक कहानी कही गई है। इस कहानी को तुम अपने शब्दों में लिखो।
कविता 'पढ़क्कू की सूझ' में एक पढ़क्कू व्यक्ति की कहानी बताई गई है जिसे तर्कशास्त्र की गहरी समझ थी। वो हमेशा चीजों के पीछे का गणितीय और तार्किक अर्थ सोचता रहता था। एक दिन, उसे कोल्हू में चल रहे बैल के बारे में सवाल आया कि यह बैल बिना किसी के हुक्म के कैसे चलता है। उसने इस बात को लेकर कई दिनों तक सोचा और आखिरकार मालिक के पास गया पूछने के लिए।
मालिक ने बताया कि वह बैल की गर्दन में बंधी घंटी से पता लगा लेता है। जब तक घंटी बजती रहती है, मालिक समझता है कि बैल चल रहा है। यदि घंटी बजनी बंद हो जाए तो वो समझता है कि बैल रुक गया है।
पढ़क्कू ने इस पर विचार किया कि अगर बैल खड़ा-खड़ा सिर्फ गर्दन हिलाए तो भी घंटी बज सकती है और मालिक को पता नहीं चलेगा कि बैल वास्तव में क्या कर रहा है। मालिक ने हंसते हुए कहा कि यह सब उसकी सोच में है और अभी तक बैल ने तर्कशास्त्र नहीं सीखा।
इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि हर चीज में अधिक तार्किक ढंग से सोचने की जरूरत नहीं होती, कभी-कभी सामान्य समझ भी काफी होती है।
तीसरी कक्षा में तुमने रामधारी सिंह दिनकर की कविता 'मिर्च का मज़ा' पढ़ी थी। अब तुमने उन्हीं की कविता 'पढ़क्कू की सूझ' पढ़ी।
(क) दोनों में से कौन-सी कविता पढ़कर तुम्हें ज़्यादा मज़ा आया?
(चाहो तो तीसरी की किताब फिर से देख सकते हो।)
(ख) तुम्हें काबुली वाला ज़्यादा अच्छा लगा या पढ़क्कू? या कोई भी अच्छा नहीं लगा?
(ग) अपने साथियों के साथ मिलकर एक-एक कविता ढूँढ़ो। कविताएँ इकट्ठा करके कविता की एक किताब बनाओ।
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Sign up nowकोल्हू का बैल ऐसे व्यक्ति को कहते हैं जो कड़ी मेहनत करता है या जिससे कड़ी मेहनत करवाई जाती है।
मेहनत और कोशिश से जुड़े कुछ और मुहावरे नीचे लिखे हैं। इनका वाक्यों में इस्तेमाल करो।
- दिन-रात एक करना
- पसीना बहाना
- एड़ी - चोटी का ज़ोर लगाना
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Sign up nowपढ़क्कू का नाम पढ़क्कू क्यों पड़ा होगा?
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Sign up nowतुम कौन-सा काम खूब मन से करना चाहते हो? उसके आधार पर अपने लिए भी पढ़क्कू जैसा कोई शब्द सोचो।
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Sign up nowExtra Questions - पढ़क्कू की सूझ | रिमझिम | Hindi | Class 4
पढ़क्कू ने बैल के घूमने का कारण क्यों सोचना शुरू किया?
पढ़क्कू तर्कशास्त्र में बहुत रुचि रखते थे और हमेशा नए प्रश्नों और समस्याओं की खोज में रहते थे। उन्होंने बैल के कोल्हू में घूमने की प्रक्रिया को देखा और उसमें छिपे हुए तर्क या कारण को समझने की जिज्ञासा से वे इस पर विचार करने लगे।
मालिक ने बैल की गर्दन में घंटी क्यों बांधी थी?
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Sign up nowAbout the Poet - पढ़क्कू की सूझ | Class 4 रिमझिम | Hindi
रामधारी सिंह दिनकर एक प्रमुख हिन्दी कवि, आलोचक और निबंधकार थे। वे 23 सितम्बर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले में पैदा हुए थे और उनका देहावसान 24 अप्रैल 1974 को हुआ था। दिनकर जी को हिन्दी साहित्य में 'राष्ट्रकवि' के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उनकी कविताएँ राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत थीं।
दिनकर जी की कविताई में ओज और वीर रस की प्रधानता होती थी। उनकी प्रमुख कृतियों में "रश्मिरथी", "कुरुक्षेत्र", "परशुराम की प्रतीक्षा" और "उर्वशी" जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ शामिल हैं। "रश्मिरथी" में उन्होंने महाभारत के कर्ण के जीवन को बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण ढंग से चित्रित किया है।
दिनकर जी का लेखन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और उसके बाद के समय में जनमानस को प्रभावित करने वाला रहा है। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से न केवल भारतीय समाज को जागृत किया, बल्कि उसे साहस और प्रेरणा भी दी।
उनके योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान भी प्राप्त हुए जिनमें 1959 में पद्म भूषण और 1972 में ज्ञानपीठ पुरस्कार शामिल हैं। उनकी लेखनी ने हिन्दी साहित्य को नई दिशा और मुकाम दिया। उनका काव्य साहित्य आज भी अत्यंत प्रासंगिक है और पाठकों के बीच लोकप्रिय है।
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Unlock now 🔓Summary - पढ़क्कू की सूझ | Class 4 रिमझिम | Hindi
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Morals - पढ़क्कू की सूझ | Class 4 रिमझिम | Hindi
1. सादगी में सुंदरता है 🌼
कविता हमें सिखाती है कि कई बार जीवन की सबसे बड़ी परेशानियों के समाधान बहुत सरल होते हैं। इसलिए हमें हर समस्या को ज्यादा जटिल नहीं समझना चाहिए......
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